CHAND BAORI | IN HINDI
चांद बावड़ी:
3,500 सीढ़ियों वाली दुनिया की सबसे गहरी बावड़
| CHAND BAORI |
कुएं और बावड़ियां
आजकल तो खैर कुओं और बावड़ियों की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन आपमें से बहुत लोग ऐसे भी होंगे जिन्होंने राजा-महाराजाओं द्वारा बनाई गई बावड़ियों के बारे में सुना होगा, हो सकता है कुछ ने इन्हें देखा भी हो।
पानी की कमी
आज भी गांव-देहातों और कस्बाई इलाकों में जहां स्थानीय लोगों को पानी की कमी से जूझना पड़ता है, वहां कुओं को खोदकर प्राकृतिक जल का स्रोत तैयार किया जाता है। लेकिन प्राचीन समय में यह बहुत कॉमन था, प्राय: हर राज्य या निकायों के पास अपने-अपने कुएं होते थे, राजा-महाराजाओं और शाही घरानों के पास तो अपने व्यक्तिगत कुएं भी मौजूद थे जहां किसी अन्य को आने का अधिकार भी नहीं था।
दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी
इतिहास की धरती पर बहुत से कुंओं और बावड़ियों का जिक्र मिलता है लेकिन आज हम आपको दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी से परिचित करवाना चाहते हैं जो राजस्थान के आभानेरी गांव (जयपुर) में स्थित है।
आभानेरी
यूं तो आभानेरी गांव के पास अपनी अलग कोई खास पहचान नहीं है लेकिन जयपुर का ये छोटा सा गांव इसलिए पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहा है क्योंकि यहां दुनिया की सबसे बड़ी बावड़ी है जो 100 फीट गहरी है।
चांद बावड़ी
चांद बावड़ी के नाम से मशहूर इस बावड़ी का निर्माण आज से करीब 1200 साल पहले यानि 9वीं शताब्दी के आसपास किया गया था। इस बावड़ी के अंदर 3,500 सीढ़ियां हैं जो नीचे की ओर जाती हैं। उस समय अगर किसी भी व्यक्ति को बावड़ी के भीतर से पानी निकालना होता था तो उसे पहले साढ़े तीन हजार सीढ़ियां नीचे जाना पड़ता था।
हर्षत माता मंदिर
यह बावड़ी हर्षत माता मंदिर के समीप स्थित है। ऐसा कहा जाता है चांद बावड़ी का हर्षत माता मंदिर से कोई धार्मिक रिश्ता भी है, जिसके चलते इस मंदिर के ठीक सामने इस बावड़ी का निर्माण करवाया गया।
खुशहाली की देवी
यह मंदिर अपने आप में शिल्पकारी का एक बड़ा नमूना है। इस मंदिर की देवी हर्षत माता को खुशहाली और संपन्नता की देवी कहा जाता है, जो गांव में सुख-शांति और खुशहाल माहौल रखती है।
जरूरतों की पूर्ति
चौकोर आकार में बनी यह बावड़ी हर ओर से 35 मीटर लंबी है। चार कोनों में से तीन कोनों में सीढ़ियां हैं, जो गहराई तक पहुंचती हैं। इस क्षेत्र की जलवायु रूखी है और उस समय यहां पानी की बहुत कमी रहती थी, तभी इतनी गहरी बावड़ी का निर्माण करवाया गया। इस बावड़ी में जमा किया गया पानी एक साल तक स्थानीय लोगों की जरूरतें पूरी करता था।
राजा चांद
यह गांव राजस्थान की राजधानी और प्रमुख शहर जयपुर से करीब 95 किमोमीटर दूरी पर जयपुर-आगरा हाइवे पर स्थित है। इस गांव की स्थापना राजा चांद ने करवाई थी और इसका नाम आभा नगरी यानि रोशनी की नगरी रखा था।
भारत में हुई थी बावड़ियों की शुरुआत
कुओं की अपेक्षा बावड़ियां ज्यादा गहरी होती हैं इसलिए इनमें अधिक मात्रा में पानी संरक्षित करके रखा जा सकता है। इन बावड़ियों के निर्माण की शुरुआत का इतिहास भारत से ही जुड़ा हुआ है।
WITH LOVE , 4 U
पधारो म्हारा राजस्थान !
thats an impoetrnt thing that must be readed...........
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