FIVE PLACE IN BANSWARA MUST BE VISIT
Shree Tripura Sundari Temple
त्रिपुरासुन्दरी दस महाविद्याओं (दस देवियों) में से एक हैं। इन्हें 'महात्रिपुरसुन्दरी', षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी, तथा राजराजेश्वरी भी कहते हैं। वे दस महाविद्याओं में सबसे प्रमुख देवी हैं।
त्रिपुरसुन्दरी के चार कर दर्शाए गए हैं। चारों हाथों में पाश, अंकुश, धनुष और बाण सुशोभित हैं। देवीभागवत में ये कहा गया है वर देने के लिए सदा-सर्वदा तत्पर भगवती मां का श्रीविग्रह सौम्य और हृदय दया से पूर्ण है। जो इनका आश्रय लेते है, उन्हें इनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इनकी महिमा अवर्णनीय है। संसार के समस्त तंत्र-मंत्र इनकी आराधना करते हैं। प्रसन्न होने पर ये भक्तों को अमूल्य निधियां प्रदान कर देती हैं। चार दिशाओं में चार और एक ऊपर की ओर मुख होने से इन्हें तंत्र शास्त्रों में ‘पंचवक्त्र’ अर्थात् पांच मुखों वाली कहा गया है। आप सोलह कलाओं से परिपूर्ण हैं, इसलिए इनका नाम ‘षोडशी’ भी है। एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवजी से पूछा, ‘भगवन! आपके द्वारा वर्णित तंत्र शास्त्र की साधना से जीव के आधि-व्याधि, शोक संताप, दीनता-हीनता तो दूर हो जाएगी, किन्तु गर्भवास और मरण के असह्य दुख की निवृत्ति और मोक्ष पद की प्राप्ति का कोई सरल उपाय बताइये।’ तब पार्वती जी के अनुरोध पर भगवान शिव ने त्रिपुर सुन्दरी श्रीविद्या साधना-प्रणाली को प्रकट किया।
भैरवयामल और शक्तिलहरी में त्रिपुर सुन्दरी उपासना का विस्तृत वर्णन मिलता है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] ऋषि दुर्वासा आपके परम आराधक थे। इनकी उपासना श्री चक्र में होती है। आदिगुरू शंकरचार्य ने भी अपने ग्रन्थ सौन्दर्यलहरी में त्रिपुर सुन्दरी श्रीविद्या की बड़ी सरस स्तुति की है। कहा जाता है- भगवती त्रिपुर सुन्दरी के आशीर्वाद से साधक को भोग और मोक्ष दोनों सहज उपलब्ध हो जाते हैं।[कृपया उद्धरण जोड़ें]
त्रिपुरसुन्दरी, काली का रक्तवर्णा रूप हैं। काली के दो रूप कृष्णवर्णा और रक्तवर्णा हैं। त्रिपुर सुंदरी धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की अधिष्ठात्री देवी हैं। इससे पहले की महाविद्याओं में कोई भोग तो कोई मोक्ष में विशेष प्रभावी हैं लेकिन यह देवी समान रूप से दोनों ही प्रदान करती हैं।
तीन रूप
इस विद्या के तीन रूप हैं-
- आठ वर्षीय बालिका बाला, त्रिपुर सुंदरी
- षोडष वर्षीय, षोडषी
- युवा स्वरूप, ललिता त्रिपुरसुन्दरी
Mahi Dam
बांसवाड़ा में माही बांध, माही बजाज सागर परियोजना के एक भाग के रूप में निर्मित किया गया था। चूँकि माही बांध के जलग्रहण क्षेत्र के अंदर द्वीपों की एक बड़ी संख्या हैं, इसलिए बांसवाड़ा "सौ द्वीपों का शहर" के नाम से भी लोकप्रिय है। यह बांध बांसवाड़ा जिले से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और सड़क मार्ग से इस तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
कागड़ी पिक
कागड़ी पिक अप मेड़, जो कि बाँसवाड़ा के जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर रतलाम रोड पर स्थित है, एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। सुंदर उद्यान, फव्वारे और पानी का एक बड़े क्षेत्र में फैलाव, ये सब मिलकर इसे पर्यटकों के लिए एक ‘हॉटस्पॉट’ बनाते है।

राम कुंड
राम कुंड को 'फटी खान' भी कहा जाता है क्योंकि यह एक पहाड़ी के नीचे एक गहरी गुफा के रूप में है। चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है, यह जगह प्रकृति के प्रेमियों के लिए एक उपचार है। ठंडे पानी का एक पूल पास ही में स्थित है यह एक अनोखा पूल है क्योंकि यह कभी सूखता नहीं है। लोगों का मानना है कि भगवान राम ने अपने बनवास के दौरान, इस जगह पर कुछ समय बिताया था, इसलिए इसका नाम राम कुंड पड़ा।


Diablab Lake
दिआब्लाब झील जिला मुख्यालय से 1 किमी की दूरी पर स्थित है और एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है,इसकी नैसर्गिक सुंदरता के लिए धन्यवाद। यह झील आंशिक रूप से सुंदर कमल के फूलों से ढकी हुई है जो झील के आकर्षण को और बढ़ाते हैं। पूर्व शासकों का ग्रीष्मकालीन निवास, बादल महल कहलाता है, जो झील के किनारों पर बना है। लोग गर्मी के मौसम में झील पर नौका विहार का आनंद ले सकते हैं।

WITH LOVE , 4 U
पधारो महारा राजस्थान !
No comments:
Post a Comment