About The Bundi
-राजस्थान का इतिहास प्रारम्भ से ही गौरवशाली रहा हे | और इस गौरवशाली परम्परा का एक अद्धभूत इतिहासिक क्षेत्र बूंदी रहा हे | जिसकी भावी स्थापत्ये कला और वीरता वे साहस का परिचायक तारागढ़ का किला इस गौरवशाली परम्परा में चार चाँद लगता हे | बूंदी के आसपास का क्षेत्र ( कोटा ,बूंदी ,झालावाड़ ,बारां ) हाड़ौती क्षेत्र कहलाता हे |
बूंदी एक जिला है जो राजस्थान के हाडोती क्षेत्र में स्थित है। बूंदी कोटा से 36 किमी की दूरी पर स्थित है। अलंकृत किले, शानदार महल और राजपूत वास्तुकला, सुंदरता से नक्काशी किये गए कोष्ठक और स्तंभ इस स्थान को भ्रमण हेतु उपयुक्त बनाते हैं। चमकीली नदियाँ, झीलें और सुंदर जल प्रपात इस क्षेत्र की सुंदरता को बढ़ाते हैं। बूंदी का एक बड़ा हिस्सा वनों से आच्छादित है जिसमें वनस्पतियों एवं प्राणियों की दुर्लभ प्रजातियाँ मिलती हैं। बूंदी कई महान चित्रकारों, लेखकों एवं कलाकारों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है। रूडयार्ड किपलिंग को भी अपनी रचना “किम” की प्रेरणा यहीं से मिली थी।
यह जिला 5,550 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है एवं इसकी जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार लगभग 88,000 है। बूंदी में पांच तहसीलें, छह शहर, चार पंचायत समितियां और लगभग 880 गाँव हैं। जिला मुख्यालय बूंदी शहर में स्थित है जिसमें शानदार किले, महल, सीढ़ीदार कुँए या बावड़ियाँ हैं।
बूंदी के इतिहास और संस्कृति पर एक नज़रHistory and Culture Of Bundi
प्राचीन समय में कई स्थानीय जनजातियों ने यहाँ अपना आवास बनाया था। इन सभी जनजातियों में सबसे प्रमुख लोगों में परिहार मीणा थे। ऐसा माना जाता है कि बूंदी का नाम एक राजा बूंदा मीणा के नाम पर पड़ा है। राव देवा हाडा ने बूंदी को वर्ष 1342 में जैता मीणा से जीता और यहाँ शासन किया। इन्होंने आस पास के क्षेत्र को हाडावती या हाडोती नाम दिया। हाडा राजपूतों ने लगभग 200 वर्ष तक इस क्षेत्र पर राज्य किया। 1533 में उनके शासन का अंत हो गया जब मुगल सम्राट अकबर ने इसे जीता। बूंदी के निवासी अधिकतर राजपूत हैं जो अपनी बहादुरी और वीरता के लिये जाने जाते हैं। बूंदी के अधिकतर आदिवासी पुरानी विचारधारा के हैं एवं ठेठ राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं का पालन करते हैं। हिंदी और राजस्थानी यहाँ बोली जाने वाली दो मुख्य भाषाएँ हैं।
बूंदी के उत्सव ...Celebration in Bundi
काली तीज यहाँ का मुख्य त्यौहार है जिसे यहाँ धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दो दिन का त्यौहार है जिसकी शुरुआत हिंदू महीने भाद्र (जुलाई से अगस्त) के तीसरे दिन से होती है। संगीत एवं चित्रकला बूंदी की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं। इस कारण यहाँ कई गायकों एवं संगीतकारों का निवास है। चित्रकारी हेतु जो बूंदी विद्यालय है वह मुग़ल और रागमाला चित्रकारी की शैली से प्रभावित है।
रुचि के स्थानInteresting In Bundi
इस क्षेत्र में कई पर्यटक स्थल है जिसमें से तारागढ़ किला, बूंदी महल, रानीजी-की-बावडी, नवल सागर बहुत प्रसिद्ध हैं। बूंदी में अन्य पर्यटक आकर्षण सुख महल, चौरासी खंभों की छतरी, जैत सागर झील एवं फूल सागर हैं।

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