अलवर का इतिहास | HISTROY OF ALWAR
अलवर एक ऐतिहासिक नगर है और इस क्षेत्र का इतिहास महाभारत से भी अधिक पुराना है। लेकिन महाभारत काल से इसका क्रमिक इतिहास प्राप्त होता है। महाभारत युद्ध से पूर्व यहाँ राजा विराट के पिता वेणु ने मत्स्यपुरी नामक नगर बसा कर उसे अपनी राजधानी बनाया था। राजा विराट ने अपनी पिता की मृत्यु हो जाने के बाद मत्स्यपुरी से ३५ मील पश्चिम में विराट (अब बैराठ) नामक नगर बसाकर इस प्रदेश की राजधानी बनाया। इसी विराट नगरी से लगभग ३० मील पूर्व की ओर स्थित पर्वतमालाओं के मध्य सरिस्का में पाण्डवों ने अज्ञातवास के समय निवास किया था। तीसरी शताब्दी के आसपास यहाँ गुर्जर प्रतिहार वंशीय क्षत्रियों का अधिकार हो गया।
इसी क्षेत्र में राजा बाधराज ने मत्स्यपुरी से ३ मील पश्चिम में एक नगर तथा एक गढ़ बनवाया। वर्तमान राजगढ़ दुर्ग के पूर्व की ओर इस पुराने नगर के चिन्ह अब भी दृष्टिगत होते हैं। पाँचवी शताब्दी के आसपास इस प्रदेश के पश्चिमोत्तरीय भाग पर राज ईशर चौहान के पुत्र राजा उमादत्त के छोटे भाई मोरध्वज का राज्य था जो सम्राट पृथ्वीराज से ३४ पीढ़ी पूर्व हुआ था। इसी की राजधानी मोरनगरी थी जो उस समय साबी नदी के किनारे बहुत दूर तक बसी हुई थी। इस बस्ती के प्राचीन चिन्ह नदी के कटाव पर अब भी पाए जाते हैं। छठी शताब्दी में इस प्रदेश के उत्तरी भाग पर भाटी क्षत्रियों का अधिकार था। राजौरगढ़ के शिलालेख से पता चलता है कि सन् ९५९ में इस प्रदेश पर गुर्जर प्रतिहार वंशीय सावर के पुत्र मथनदेव का अधिकार था, जो कन्नौज के भट्टारक राजा परमेश्वर क्षितिपाल देव के द्वितीय पुत्र श्री विजयपाल देव का सामन्त था। इसकी राजधानी राजपुर थी। १३वीं शताब्दी से पूर्व अजमेर के राजा बीसलदेव चौहान ने राजा महेश के वंशज मंगल को हराकर यह प्रदेश निकुम्भों से छीन कर अपने वंशज के अधिकार में दे दिया। पृथ्वीराज चौहान और मंगल ने ब्यावर के राजपूतों की लड़कियों से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया। सन् १२०५ में कुतुबुद्दीन ऐबक ने चौहानों से यह देश छीन कर पुन: निकुम्बों को दे दिया।
१ जून १७४० रविवार को मौहब्बत सिंह की रानी बख्त कुँवर ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रताप सिंह रखा गया। इसके पश्चात् सन् १७५६ में मौहब्बत सिंह बखाड़े के युद्ध में जयपुर राज्य की ओर से लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ। राजगढ़ में उसकी विशाल छतरी बनी हुई है। मौहब्बत सिंह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र प्रतापसिंह ने १७७५ ई. को अलवर राज्य की स्थापना की।
ब्रिटिश गैज़ेटर के अनुसार अलवर का क्षेत्र इन निम्नलिखित राजपूत शाखाओ के प्रभुत्व के अनुसार बटा हुआ था।
1. राठ क्षेत्र - इस क्षेत्र पर संकट गोत्र के चौहान राजपूतो का राज्य था जो आज का नीमराणा और बहरोड़ एवं मुंडावर का क्षेत्र है।
2. वई क्षेत्र - इस क्षेत्र पर शेखावत राजपूतो का प्रभुत्व था आज का यह बहरोड़ और थाना गाज़ी का क्षेत्र कहलाता है।
3. नरुखंड़ - इस क्षेत्र पर नरुका और राजावत राजपूतो का प्रभुत्व हुआ करता था। अलवर के सभी राजा इस क्षेत्र से थे।
4. मेवात क्षेत्र - इस क्षेत्र पर मेव जाति(मुस्लिम),गैर राजपूत जाति अधिक पाई जाती है।।
WITH LOVE , 4 U
पधारो म्हारो राजस्थान !
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