बीकानेर का प्रमुख दर्शनीय स्थल – Bikaner Ka Pramukh Darshniya Sthal In Hindi
बीकानेर का प्रमुख दर्शनीय स्थल जूनागढ़ का किला – Bikaner Ka Pramukh Darshniya Sthal Junagarh Fort In Hindi
जूनागढ़ किला – Junagarh Fort भारत के राजस्थान राज्य के बीकानेर शहर में है। इस किले को वास्तव में चिंतामणि किले और बीकानेर किले – Bikaner Fort के नाम से जाना जाता है और 20 वी शताब्दी के प्रारंभ में इसका नाम बदलकर जूनागढ़ रखा गया था क्योकि 20 वी शताब्दी में किले में रहने वाला परिवार लालगढ़ महल में स्थानांतरित हुआ था।
यह किला राजस्थान के उन प्रमुख किलो में शामिल है जो पहाड़ की ऊंचाई पर नही बने है। वर्तमान बीकानेर शहर किले के आस-पास ही विकसित हुआ है।


जूनागढ़ किले का इतिहास – Junagarh Fort History In Hindi
किले का निर्माण बीकानेर के शासक राजा राय सिंह के प्रधान मंत्री करण चंद की निगरानी में किया गया था, राजा राय सिंह ने 1571 से 1611 AD के बीच बीकानेर पर शासन किया था।
किले की दीवारों और खाई का निर्माणकार्य 1589 में शुरू हुआ था और 1594 में पूरा हुआ था। इन्हें शहर के वास्तविक किले के बाहर ही बनाया गया है, सिटी सेंटर से 1.5 किलोमीटर की दुरी पर इन दीवारों और खाई का निर्माण किया गया था। जूनागढ़ किले के शेष भाग लक्ष्मी नारायण मंदिर के आस-पास बने हुए है।
इतिहासिक दस्तावेजो के अनुसार Junagarh Fort पर कई बार दुश्मनों ने आक्रमण किया गया था, लेकिन कभी इसे कोई हासिल नही कर सका सिर्फ कामरान मिर्ज़ा ने ही एक दिन के लिये इसे अपने नियंत्रण में रखा था।
कामरान मुग़ल बादशाह बाबर के दुसरे बेटे थे जिन्होंने 1534 में बीकानेर पर आक्रमण किया था, और इसके बाद बीकानेर पर राव जित सिंह का शासन था।
5.28 एकर के किले के परीसर में महल, मंदिर और रंगमंच बने हुए है। यह इमारते उस समय की मिश्रित वास्तुशिल्प कला को दर्शाती है।
जूनागढ़ किले का इतिहास – History Of Junagarh Fort
जूनागढ़ के प्राचीन शहर का नामकरण एक पुराने दुर्ग के नाम पर हुआ है। यह गिरनार पर्वत के समीप स्थित है। यहाँ पूर्व-हड़प्पा काल के स्थलों की खुदाई हुई है। इस शहर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था।
यह चूड़ासमा राजपूतों की राजधानी थी। यह एक रियासत थी। गिरनार के रास्ते में एक गहरे रंग की बेसाल्ट चट्टान है, जिस पर तीन राजवंशों का प्रतिनिधित्व करने वाला शिलालेख अंकित है।
मौर्य शासक अशोक (लगभग 260-238 ई.पू.) रुद्रदामन (150 ई.) और स्कंदगुप्त (लगभग 455-467)। यहाँ 100-700 ई. के दौरान बौद्धों द्वारा बनाई गई गुफ़ाओं के साथ एक स्तूप भी है। शहर के निकट स्थित कई मंदिर और मस्जिदें इसके लंबे और जटिल इतिहास को उद्घाटित करते हैं।
यहाँ तीसरी शताब्दी ई.पू. की बौद्ध गुफ़ाएँ, पत्थर पर उत्कीर्णित सम्राट अशोक का आदेशपत्र और गिरनार पहाड़ की चोटियों पर कहीं-कहीं जैन मंदिर स्थित हैं। 15वीं शताब्दी तक राजपूतों का गढ़ रहे जूनागढ़ पर 1472 में गुजरात के महमूद बेगढ़ा ने क़ब्ज़ा कर लिया, जिन्होंने इसे मुस्तफ़ाबाद नाम दिया और यहाँ एक मस्जिद बनवाई, जो अब खंडहर हो चुकी है।
जूनागढ़ किला – Junagarh Fort आज भी गर्व से यह अपना इतिहास बयान करता है और कहता है कि मुझे कभी कोई शासक हरा नहीं पाया। कहते हैं कि इतिहास में सिर्फ एक बार किसी गैर शासक द्वारा इस भव्य किले पर कब्जा किए जाने के प्रयास का जिक्र होता है।
कहा जाता है कि मुगल शासक कामरान जूनागढ़ की गद्दी हथियाने और किले पर फतह करने में कामयाब हो गया था, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही उसे सिंहासन छोड़ना पड़ा। इसके अलावा कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता कि जूनागढ़ को किसी शासक ने फतेह करने के मंसूबे बनाए हों और वह कामयाब हुआ हो।
बरसात को तरसते रेगिस्तानी राजस्थान, खासतौर पर उस पुराने दौर में जब बारिश राजस्थान के लिए त्योहार होती थी, उस दौर में राज्य के शाही किलो में बादल महल बनाकर बरसात का एहसास राजा-महाराजा किया करते थे।
जयपुर, नागौर किलों सहित अनेक किलों में बने बादल महल इसका उदाहरण हैं, लेकिन बीकानेर का जूनागढ़ किला खासतौर पर बने बादल महल के लिए काफी चर्चित है।
जूनागढ़ दुर्ग परिसर में खासी ऊंचाई पर बने इस भव्य महल को किले में सबसे ऊंचाई पर स्थित होने के कारण बादल महल कहा जाता है।


महल में पहुंचकर वाकई लगता है, जैसे आप आसमान के किसी बादल पर आ गए हों। नीले रंग के बादलों से सजी दीवारें बरखा की फुहारों का अहसास दिलाती हैं। यहां बहने वाली ताजा हवा पर्यटकों की सारी थकान छू कर देती है।
इतिहास इस पूरे Junagarh Fort से बहुत गहरी जड़ों तक जुड़ा है इसलिए सैलानी इसकी ओर बहुत आकर्षित होते हैं। यह किला पूरी तरह से थार रेगिस्तान के लाल बलुआ पत्थरों से बना है। हालांकि इसके भीतर संगमरमर का काम किया गया है। इस किले में देखने लायक कई शानदार चीजें हैं। यहां राजा की समृद्ध विरासत के साथ उनकी कई हवेलियां और कई मंदिर भी हैं।
यहां के कुछ महलों में ‘बादल महल’ सहित गंगा महल, फूल महल आदि शामिल हैं। इस किले में एक संग्रहालय भी है जिसमें ऐतिहासिक महत्व के कपड़े, चित्र और हथियार भी हैं। यह संग्रहालय सैलानियों के लिए राजस्थान के खास आकर्षणों में से एक है।
यहां आपको संस्कृत और फारसी में लिखी गई कई पांडुलिपियां भी मिल जाएंगी। जूनागढ़ किले के अंदर बना संग्रहालय बीकानेर और राजस्थान में सैलानियों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है। इस किला संग्रहालय में कुछ बहुत ही दुर्लभ चित्र, गहने, हथियार, पहले विश्वयुद्ध के बाइप्लेन आदि हैं।
इतिहासकारों के अनुसार इस दुर्ग के पाये की नींव 30 जनवरी 1589 को गुरुवार के दिन डाली गई थी। इसकी आधारशिला 17 फरवरी 1589 को रखी गई।
इसका निर्माण 17 जनवरी 1594 गुरुवार को पूरा हुआ। स्थापत्य, पुरातत्व व ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस किले के निर्माण में तुर्की की शैली अपनाई गई जिसमें दीवारें अंदर की तरफ झुकी हुई होती हैं। दुर्ग में निर्मित महल में दिल्ली, आगरा व लाहौर स्थिति महलों की भी झलक मिलती है।
दुर्ग चतुष्कोणीय आकार में है, जो 1078 गज की परिधि में निर्मित है तथा इसमें औसतन 40 फीट ऊंचाई तक के 37 बुर्ज हैं, जो चारों तरफ से दीवार से घिरे हुए हैं। इस दुर्ग के 2 प्रवेश द्वार हैं- करण प्रोल व चांद प्रोल। करण प्रोल पूर्व दिशा में बनी है जिसमें 4 द्वार हैं तथा चांद प्रोल पश्चिम दिशा में बनी है, जो एक मात्र द्वार ध्रुव प्रोल से संरक्षित है।
सभी प्रोलों का नामकरण बीकानेर के शाही परिवार के प्रमुख शासकों एवं राजकुमारों के नाम पर किया गया है। इनमें से कई प्रोल ऐसी हैं, जो दुर्ग को संरक्षित करती हैं। पुराने जमाने में कोई भी युद्घ तब तक जीता हुआ नहीं माना जाता था, जब तक कि वहां के दुर्ग पर विजय प्राप्त न कर ली जाती।
शत्रुओं को गहरी खाई को पार करना पड़ता था, उसके बाद मजबूत दीवारों को पार करना होता था, तब कहीं जाकर दुर्ग में प्रवेश करने के लिए प्रोलों को अपने कब्जे में लेना होता था। प्रोलों के दरवाजे बहुत ही भारी व मजबूत लकड़ी के बने हुए हैं। इसमें ठोस लोहे की भालेनुमा कीलें लगी हुई हैं।
जूनागढ़ किले और बीकानेर के पैलेस – Junagarh Fort And Palaces Bikaner
अनूप महल एक बहु-मंजिला ईमारत है, जो इतिहास में साम्राज्य का हेडक्वार्टर हुआ करता था. इसकी सीलिंग लकडियो से और कांच की सहायता से बनाई गयी है, साथ ही इसके निर्माण में इतालियन टाइल्स और लैटिस खिडकियों और बाल्कनी का उपयोग किया गया था। इस महल में सोने की पत्तियों से कुछ कलाकृतियाँ भी बनाई गयी है। इसे एक विशाल निर्माण भी माना जाता है।
फूल महल किले का सबसे पुराना भाग है जिसका निर्माण बीकानेर के राजा राय सिंह ने किया था, जिनका शासनकाल 1571 से 1668 तक था।
गंगा महल का निर्माण 20 वी शताब्दी में गंगा सिंह ने किया था जिन्होंने 1887 से 1943 तक 56 सालो तक शासन किया था, इस किले में एक विशाल दरबार हॉल है जिसे गंगा सिंह हॉल के नाम से भी जाना जाता है।
बीकानेरी हेवली बीकानेर शहर के अन्दर और बाहर दोनों जगहों पर है, बीकानेर की विशेष और प्रसिद्ध वास्तुकला का यह सुन्दर उदाहरण है।बीकानेर को देखने आये विस्देशी पर्यटक अल्डोस हक्सले ने कहा था की, “ये हवेलियाँ बीकानेर का गर्व है” ।
करण महल (पब्लिक ऑडियंस हॉल) का निर्माण करण सिंह ने 1680 C. में किया था, इसका निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगजेब के खिलाफ जीत की ख़ुशी में किया गया था। इस महल के पास एक गार्डन का निर्माण भी किया गया है और राजस्थान के प्रसिद्ध और विशाल किलो में यह शामिल है। यह किला राजस्थान की इतिहासिक वास्तुकला को दर्शाता है।
किले की खिड़कियाँ रंगीन कांच की बनी हुई है और जटिलतापूर्वक चित्रित की हुई बाल्कनी का निर्माण लकडियो से किया गया है. बाद में राजस, अनूप सिंह और सूरत सिंह ने भी महल की मरम्मत करवाकर इसे चमकीला बनवाया, कांच लगवाए और लाल और सुनहरा पेंट भी लगवाया।
राजगद्दी वाले कक्ष में एक मजबूत आला भी बना हुआ है जिसका उपयोग सिंहासन के रूप में किया जाता है।
बादल महल, अनूप महल के अस्तित्व का ही एक भाग है. इसमें शेखावती दुन्द्लोद की पेंटिंग है जो बीकानेर के महाराजा को अलग-अलग पगड़ियो में सम्मान दे रहे है। इसमें नाख़ून, लकड़ी, तलवार और आरे पर खड़े लोगो की तस्वीरे भी लगी हुई है। महल की दीवारों पर हिन्दू भगवान श्री क्रिष्ण की तस्वीरे भी बनी हुई है।
चन्द्र महल किले का सबसे भव्य और शानदार कमरा है, सोने से बने देवी-देवताओ की कलाकृतियाँ और पेंटिंग लगी हुई है जिनमे बहुमूल्य रत्न भी जड़े हुए है। इस शाही बेडरूम में कांच को इस तरह से लगाया गया है की राजा अपने पलंग पर बैठे ही जो कोई भी उनके कमरे में प्रवेश कर रहा है उसे देख सकते है।
महाराजा राय सिंह ट्रस्ट –
महाराजा राय सिंह का निर्माण बीकानेर के शाही परिवार ने किया था। ताकि वें किले से संबंधित इतिहास की ज्यादा से ज्यादा जानकारी पर्यटकों को बता सके। इसके साथ ही इस ट्रस्ट की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य राज्य में शिक्षा, संस्कृति और लोगो का विकास करना था।
किला संग्रहालय –
किले के भीतर बने संग्रहालय को जूनागढ़ किला संग्रहालय का नाम दिया गया है जिसकी स्थापना 1961 में महाराजा डॉ. करनी सिंह ने “महाराजा राय सिंह ट्रस्ट” के नियंत्रण में की थी।
इस संग्रहालय में पर्शियन और मनुस्मृति, इतिहासिक पेंटिंग, ज्वेलरी, शाही वेशभूषा, शाही फरमान, गैलरी, रीती-रिवाज और माने जाने वालेभगवान की मूर्तियों का प्रदर्शन किया गया है। इस संग्रहालय में एक शस्त्रागार भी है जिसमे भूतकालीन युद्धों की यादो को सजोया गया है।
बीकानेर का प्रमुख आकर्षण गजनेर पैलेस – Bikaner Attraction Gajner Palace In Hindi
गजनेर पैलेस गजनेर पैलेस, बीकानेर42 अवलोकन फोटो आकर्षण होटल गजनेर पैलेस बीकानेर के पास गजनेर में जंगल के अंदर झील के किनारे पर स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।यह महल राजा गंगा सिंह द्वारा लाल बलुआ पत्थर से बनवाया गया था।प्राचीन काल के दौरान,यह महल शिकार और बीकानेर के राजाओं के लिए लॉज के रूप देखा जाता था। खंभे,झरोखें,महल की स्क्रीन इस स्मारक का प्रमुख आकर्षण रहे हैं जिन पर जटिलता से नक्काशी का काम किया गया है।महल के बाहर पर्यटक प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं।पक्षियों में,काले हिरण चिंकारा, नीले बैल, नील गाय को यहाँ देखा जा सकता है।
बीकानेर का प्रसिद्ध मंदिर करणी माता मंदिर – Bikaner Ka Prashid Mandir Karni Mata Temple In Hindi
जोधपुर से पहले मंडोर मारवाड़ की राजधानी हुआ करती थी. 1394 के साल में परिहारों या इंदा राजपूत राणा गंगदेव ने अपनी बेटी लीलादे की शादी राव चूंडा से की और मंडोर दहेज़ में दे दिया. यहां से मारवाड़ में राठौड़ों के शासन की शुरुआत होती है जोकि 1949 तक बदस्तूर जारी रहा.
राव चूंडा के बेटे हुए राव रिडमल. उस समय मंडोर इतना मजबूत राज्य नहीं हुआ करता था और मेवाड़ का सूरज उरूज पर था. राव रिडमल मेवाड़ राज्य के राणा मोकल के यहां सेनापति की हैसियत से काम करने लगे. मोकल के जाने के बाद उन्होंने उनके बेटे राणा कुम्भा के राज में भी अपना काम जारी रखा. दरबारी षड्यंत्र के चलते कुम्भा ने राव रिडमल की हत्या करवा करवा दी. रिडमल के बेटे जोधा को वहां से जान बचाकर भागने पर मजबूर होना पड़ा.
बीकानेर शहर का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल लालगढ़ पैलेस – Bikaner Ka Pramukh Paryatan Sthal Lalgarh Palace In Hindi

लालगढ़ पैलेस 1902 में राजा गंगा सिंह द्वारा लाल पत्थरों से बनवाया गया था।उन्होंने यह सुंदर महल अपने पिता, राजा लाल सिंह की स्मृति में बनवाया था।यह महल वास्तुकार सर स्विंटन याकूब के द्वारा डिजाइन किया गया है जिन्होंने एक ही मंच पर राजपूत, मुगल और यूरोपीय शैलियों के सहयोग से इमारत के ढांचे को डिजाइन किया। शानदार और बलुआ पत्थर में चांदी काम महीन महल का प्रमुख आकर्षण है।इस महल के ऊपर की बालकनी बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करती है। मोर नृत्य महल के बगीचे की खूबसूरती को बढ़ाते हैं।बीकानेर शहर इस महल से केवल 3 किमी दूर है। पर्यटक इस महल में 10 से 5 बजे तक पहुँच सकते हैं, इस समय पर परिवहन की सुविधा भी मिल जाती है।
भांडासर जैन मंदिर बीकानेर का प्रसिद्ध मंदिर- Bikaner Ka Pramukh Temple Bhandasar Jain Mandir In Hindi
सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक भंदसेर जैन मंदिर, बीकानेर से 5 किमी की दूरी पर स्थित है। यह जैन धर्म में 5 वे तीर्थंकर, 15 वीं सदी के सुमतिनाथ,को समर्पित मंदिर है।पर्यटक यहाँ बँध दर्पण, भित्तिचित्रों और मंदिर की दीवारों पर सोने की पत्ती वाले चित्रों को देख सकते हैं।एक धारणा के अनुसार, मंदिर की नींव में शुद्ध घी और नारियल इस्तेमाल किया गया है। मंदिर नक्काशियों, दीवार पेंटिंग, संरचनात्मक सुंदरता और मूर्तियों की डिजायन के लिए प्रसिद्ध है।लाल बालू पत्थर और सफेद पत्थर खूबसूरती से नक्काशीदार किया गया है।
बीकानेर में देखने लायक जगह ऊंट अनुसंधान केंद्र – Bikaner Mein Dekhne Layak Camel Research Center In Hindi
Camels are fondly called the "Ships of the Desert" because of their utility in arid climate. They can live without water for many days. They provide alternative means of goods transportation in many districts of Rajasthan, which, in turn, saves fuel and also provides livelihood to many camel herders. The Thar Desert is filled with glorious palaces, natural marvels and, of course, camels which adds to the tourism sector.
Maharaja Ganga Singh of the Bikaner, Rajasthan, India founded Bikaner Camel Corps around 1890 and it participated in World Wars I and II. Because of their long natural history, camels have been declared the state animal of Rajasthan and some communities like Raika are specific in keeping and raising them.
Tourists visiting NRCC and& Bikaner enjoy seeing camel calves gamboling around one another during afternoon hours, or camels gathering in sand dunes during sunset. A camel museum is available to apprise them of the developmental and research aspects of the camel in the desert ecosystem. Facilities available are camel riding, desert safari, camel milk and ice cream (locally known as kulfi), souvenir shops selling various decorative items like bags, purses, artwork, shawl, small chains, etc.
International Camel Festival is organised in Bikaner, every year around 12–13 January. The shows include camel dance, camel race, artwork on various breeds of camels, traditional folk dances by locals. The colorful Fair offers absolute delight and never seen before presentations by trained camels.
Sulekha Tour Package - Planning Tour? Book Rajasthan tour package from delhi online from Sulekha Holidays at best price. Visit now to get exclusive offers on shimla manali tour package from delhi ..
ReplyDelete